शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला उतई में शनिवार को हिंदी दिवस मनाया गया। जिसमें हिंदी व्याख्यान व संकुल स्तरीय शिक्षक सम्मान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सहायक प्राध्यापक लेफ्टिनेंट डॉ. अनुसुईया जोगी थी। अध्यक्षता बीईओ डॉ केवी राव ने की। कार्यक्रम में बीआरसी गोविन्द साव, एबीईओ श्रीमती संध्या ढीढ़ी विशेष अतिथि थी। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया गया। पश्चात सरस्वती वंदना व स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। संकुल प्रभारी पोषण मारकंडे ने स्वागत भाषण दिया । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सहायक प्राध्यापक लेफ्टिनेंट अनुसुईया जोगी ने कहा कि हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को देश भर में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। हिंदी ने हमें दुनियाभर में पहचान दिलाई है। भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के कई देशों में हिंदी बोली जाती है। हिंदी विश्व की प्राचीन, समृद्ध और सरल भाषा है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिंदी को जनमानस की भाषा कहा था। उन्होंने 1918 में आयोजित हिंदी साहित्य सम्मेलन में हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने के लिए कहा था। भारत सालों तक अंग्रेजों का गुलाम रहा । इसी वजह से उस गुलामी का असर लंबे समय तक देखने को मिला। यहां तक कि इसका प्रभाव भाषा में भी पड़ा। वैसे तो हिंदी दुनिया की तीसरी ऐसी भाषा है जिसे सबसे ज्यादा लोग बोलते हैं लेकिन इसके बावजूद हिंदी को अपने ही देश में हीन भावना से देखा जाता है। अध्यक्षीय उदबोधन में डॉ केवी राव ने कहा कि आमतौर पर हिंदी बोलने वाले को पिछड़ा और अंग्रेजी में अपनी बात कहने वाले को आधुनिक कहा जाता है। इसे हिंदी का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि इतनी समृद्ध भाषा कोष होने के बावजूद आज हिंदी लिखते और बोलते वक्त ज्यादातर अंग्रेजी भाषा के शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। और तो और हिंदी के कई शब्द चलन से ही हट गए। ऐसे में हिंदी दिवस को मनाना जरूरी है ताकि लोगों को यह याद रहे कि हिंदी उनकी राजभाषा है और उसका सम्मान व प्रचार-प्रसार करना उनका कर्तव्य है। बीआरसी गोविंद साव ने कहा कि हिंदी हमारी राजभाषा है। पर आज भी आधिकारिक रूप से अंग्रेजी ही उपयोग में लाई जाती है । संकुल समन्वयक सावंत साहू ने कहा कि राजभाषा हिन्दी का नियमित प्रयोग किया जाना चाहिए । एबीईओ संध्या ढीढी ने कहा कि हिंदी दिवस मनाने के पीछे मंशा यही है कि लोगों को एहसास दिलाया जा सके कि जब तक वे इसका इस्तेमाल नहीं करेंगे तब तक इस भाषा का विकास नहीं होगा । सभी शिक्षकों ने हिंदी का उपयोग अधिक से अधिक करने की शपथ ली। कार्यक्रम का संचालन धर्मावती वर्मा व आभार प्रदर्शन संकुल प्राचार्य चंद्रकिरण साहू ने किया। इस दौरान मुरली लाल ध्रुव, छबिलाल रघुवंशी, गिरधर चेलक, पोषण मारकण्डे, शंकर लाल देशलहरे, दुलारी चंद्राकर, गीतांजली चंद्राकर, जयश्री कटेन्द्र, हरीशचन्द्र देवागन, पीएस देवदास, अश्वनी यादव, नरेन्द्र देशलहरे, रेखराम कोठारी, कल्पना साहू, सरिता ठाकुर, बिंदिया गबेल, दुर्गेश मेश्राम, मूलचंद सिन्हा, दुर्गाप्रसाद टंडन, साधना अग्रवाल, एलआर साहू, एके साहू, रजनी शितोले, मुकेश लसहे, ईश्वरी ठाकुर, बीना टंडन, कंचन सिन्हा, बीरेंद्र कंवलिया सहित सैकड़ों शिक्षक व बच्चे मौजूद थे।
बॉक्स में
इन शिक्षकों का हुआ सम्मान
संकुल स्तरीय शिक्षक सम्मान में प्रहलाद वर्मा, नंदलाल साहू, एके साहू, वीना दुबे, स्मिता वर्मा, पारस रात्रे, गणेश राम कश्यप, अन्नपूर्णा सुर्यवंशी, सुरेखा मंडावी, एसडी कुरैशी, आरती भगत, सतीश यादव, गोवर्धन चंद्रवंशी, अश्वनी यादव, प्रगति इंगले, खेमलता गोस्वामी, प्रमोद तिवारी, तुलेश्वर रजक, शारदा खेवार, कल्पना साहू, बिंदिया गबेल, मीना वर्मा, रोशनी चंद्राकर, सरिता नेताम, कमोद सिंह ध्रुव, रेखराम कोठारी, नरेंद्र देशलहरा, दीपक दुबे, श्रवण पाटिल, धनेश्वरी बंजारे आदि का श्रीफल, प्रतीक चिन्ह व प्रशस्ति पत्र भेंटकर सम्मान किया गया।
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इन शिक्षकों का हुआ सम्मान
संकुल स्तरीय शिक्षक सम्मान में प्रहलाद वर्मा, नंदलाल साहू, एके साहू, वीना दुबे, स्मिता वर्मा, पारस रात्रे, गणेश राम कश्यप, अन्नपूर्णा सुर्यवंशी, सुरेखा मंडावी, एसडी कुरैशी, आरती भगत, सतीश यादव, गोवर्धन चंद्रवंशी, अश्वनी यादव, प्रगति इंगले, खेमलता गोस्वामी, प्रमोद तिवारी, तुलेश्वर रजक, शारदा खेवार, कल्पना साहू, बिंदिया गबेल, मीना वर्मा, रोशनी चंद्राकर, सरिता नेताम, कमोद सिंह ध्रुव, रेखराम कोठारी, नरेंद्र देशलहरा, दीपक दुबे, श्रवण पाटिल, धनेश्वरी बंजारे आदि का श्रीफल, प्रतीक चिन्ह व प्रशस्ति पत्र भेंटकर सम्मान किया गया।

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